दुधारू पशुओं में बाईपास प्रोटीन एवं वसा की उपयोगिता
Author(s): डा. दिनेश कुमार, डा. सरोज कुमार, डा. अशोक पाटिल, डा. पी. एन. पाणिग्रही, डा. उत्कर्ष कुमार त्रिपाठी, डा. पवन कुमार यादव
Abstract: भारत में पशुओं के लिए उपलब्ध चारा संसाधनों की कमी पशुधन विकास में एक बड़ी बाधा है। समस्या केवल चारे की उपलब्धता में कमी की ही नहीं बल्कि उसके साथ-साथ चारे की गुणवत्ता को लेकर भी है। भारत में भूसा और स्टोवर प्रमुख सूखे चारे के रूप में उपलब्ध है, लेकिन यह स्वाद, पाचनशक्ति और पोषक तत्वों की पूर्ति के मामले में कम गुणवत्ता के हैं। शहरीकरण और बढ़ती मानव आबादी के कारण, चारा उत्पादन क्षेत्र में भी कमी हो रही है। चारे की कमी की समस्या को वैकल्पिक आहार संसाधनों से कुछ हद तक दूर किया जा सकता है, लेकिन इसके साथ-साथ, जुगाली करनेवाले पशुओं की पाचन प्रणाली में पोषक तत्वों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए वैकल्पिक चारा संवद्र्वन की तकनीकों का प्रयोग किया जाना चाहिए। इन तकनीकों का उद््देश्य पोषक तत्वों (प्रोटीन और वसा) को रूमेन में टूटने से बचाना है। यह पोषक तत्व पशु की पाचन प्रणाली के निचले हिस्से में पचते हैं। इनके उपयोग से पशुओं में अपने शारीरिक विकास और दुग्ध उत्पादन के लिए प्रोटीन और ऊर्जा के उपयोग की क्षमता बढ़ जाती है।
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डा. दिनेश कुमार, डा. सरोज कुमार, डा. अशोक पाटिल, डा. पी. एन. पाणिग्रही, डा. उत्कर्ष कुमार त्रिपाठी, डा. पवन कुमार यादव. दुधारू पशुओं में बाईपास प्रोटीन एवं वसा की उपयोगिता. Int J Vet Sci Anim Husbandry 2017;2(1):07-09.